Vindhyeshwari Aarti | विन्ध्येश्वरी आरती
Vindhyeshwari Aarti | विन्ध्येश्वरी आरती सुन मेरी देवी पर्वतवासिनी, कोई तेरा पार न पाया। पान सुपारी ध्वजा नारीयल, ले तेरी भेंट चढ़ाया। सुवा चोली तेरी अंग विराजे, केसर तिलक लगाया । नंगे पग मां अकबर आया, सोने का छत्र चढ़ाया। ऊँचे पर्वत बन्यो देवालय, नीचे शहर बसाया। सतयुग,द्वापर,त्रेता मध्ये, कलयुग राज सवाया। धूप दीप नैवेद्य […]