Jaya Ekadashi
What is Jaya Ekadashi | Meaning
According to the Hindu mythology Jaya Ekadashi is celebrated is to please Lord Vishnu. Jaya Ekadashi is celebrated all across the India. Jaya Ekadashi is also known as Bhisma Ekadashi or Bheesma Ekadashi in South India.
Jaya Ekadashi/Bhisma Ekadashi Date 2020
5th February 2020
Wednesday / बुधवार
Jaya Ekadashi Punya Kaal Muhurta ( मुहूर्त )2020
Ekadashi Tithi Begins – 09:49 PM on Feb 04, 2020
Ekadashi Tithi Ends – 09:30 PM on Feb 05, 2020
Jaya Ekadashi Pujan Samagri
अगरबत्ती | Incense stick |
पान | Betel Leave |
नारियल | Coconut |
सिक्के | Coins |
धूप | Dhoop Batti |
फूल , चावल , रोली | Flowers , rice , Roli |
गंगा जल ( पवित्र जल ) | Ganga water ( pure water ) |
माला | Garland |
कपूर | Kapoor |
इत्र | Perfume |
भगवान विष्णु की फोटो | Photo or image of God Vishnu |
मिठाई | Sweet |
बाती, तेल / घी और माचिस | Wick , oil / ghee and Matchbox |
How to do the Jaya Ekadashi Puja | Pooja Vidhi
- To start makar sakranti Puja first break a coconut at worship place.
- Sprinkle some Ganga jal on the palce and on pujan samgri .
- Lit a diya with two wicks or two lamps.
- First worship Lord Ganesha
- Next worship to Lord Vishnu
- Put roly tilak on Lord Vishnu photo followed by akshat, flowers, garland, perfume and dakshina(coins).
- Place sweets infornt of Lord Vishnu
- Chant Vishnu Mantra, and Shattila Ekadashi Vrat Katha
- Now do Vishnu Aarti
- Distribute the prasad.
जया एकादशी व्रत कथा | Jaya Ekadashi Vrat katha
प्राचीनकाल में हरिशचंद्र नामक एक चक्रवर्ती राजा राज्य करता था। उसने किसी कर्म के वशीभूत होकर अपना सारा राज्य व धन त्याग दिया, साथ ही अपनी स्त्री, पुत्र तथा स्वयं को बेच दिया।
वह राजा चांडाल का दास बनकर सत्य को धारण करता हुआ मृतकों का वस्त्र ग्रहण करता रहा। मगर किसी प्रकार से सत्य से विचलित नहीं हुआ। कई बार राजा चिंता के समुद्र में डूबकर अपने मन में विचार करने लगता कि मैं कहाँ जाऊँ, क्या करूँ, जिससे मेरा उद्धार हो।
इस प्रकार राजा को कई वर्ष बीत गए। एक दिन राजा इसी चिंता में बैठा हुआ था कि गौतम ऋषि आ गए। राजा ने उन्हें देखकर प्रणाम किया और अपनी सारी दु:खभरी कहानी कह सुनाई। यह बात सुनकर गौतम ऋषि कहने लगे कि राजन तुम्हारे भाग्य से आज से सात दिन बाद भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अजा नाम की एकादशी आएगी, तुम विधिपूर्वक उसका व्रत करो।
गौतम ऋषि ने कहा कि इस व्रत के पुण्य प्रभाव से तुम्हारे समस्त पाप नष्ट हो जाएँगे। इस प्रकार राजा से कहकर गौतम ऋषि उसी समय अंतर्ध्यान हो गए। राजा ने उनके कथनानुसार एकादशी आने पर विधिपूर्वक व्रत व जागरण किया। उस व्रत के प्रभाव से राजा के समस्त पाप नष्ट हो गए।
स्वर्ग से बाजे बजने लगे और पुष्पों की वर्षा होने लगी। उसने अपने मृतक पुत्र को जीवित और अपनी स्त्री को वस्त्र तथा आभूषणों से युक्त देखा। व्रत के प्रभाव से राजा को पुन: राज्य मिल गया। अंत में वह अपने परिवार सहित स्वर्ग को गया।
हे राजन! यह सब अजा एकादशी के प्रभाव से ही हुआ। अत: जो मनुष्य यत्न के साथ विधिपूर्वक इस व्रत को करते हुए रात्रि जागरण करते हैं, उनके समस्त पाप नष्ट होकर अंत में वे स्वर्गलोक को प्राप्त होते हैं। इस एकादशी की कथा के श्रवण मात्र से अश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्त होता है।
Voidcan.org wish you a very happy and prosperous Jaya Ekadashi/Bhisma Ekadashi/Bheesma Ekadashi 2020