कजरी तीज पूजा विधि और व्रत कथा 2019
कजरी तीज व्रत २०१९| Kajari Teez 2019
कजरी तीज को बड़ी तीज भी कहा जाता है और यह श्रवण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। कजरी तीज को कई जगह कजली तीज या सातुड़ी तीज भी कहा जाता है।
Kajari Teez is also called Badi Teej and it is celebrated on the third thithi of Shukla Paksha of Shravan Maah. Kajri Teej is also known as Kajali Teej or Saturi Teej in some places.
18 अगस्त 2019 (Sunday)
कजरी तीज पूजा मुहूर्त 2019
Tritiya Tithi Begins = 22:48 on 17/Aug/2019
Tritiya Tithi Ends = 01:13 on 19/Aug/2019
कजरी तीज व्रत विधि | Kajari Teez Vrat Vidhi
कजरी तीज पूरे वर्ष में मनाए जाने वाली तीन प्रमुख तीज त्योहारों में से एक है। आखा और हरियाली तीज की तरह भक्त कजरी तीज के लिए विशेष तैयारी करते हैं।
कजरी तीज के दिन देवी पार्वती की पूजा करने के लिए शुभ माना जाता है। काजरी तीज पर देवी पार्वती की पूजा करने वाली महिलाएं अपने पति की लम्बी उम्र और खुशाल वैवाहिक जीवन के लिए व्रत रखती हैं। हिन्दू धरम शास्त्रों के अनुसार देवी पार्वती 108 जन्म लेने के बाद भगवान शिव से शादी करने में सफल हुई थी। दिव्य पार्वती माँ का भगवान शिव के लिए दिखाए निस्वार्थ प्रेम के सम्मान मैं कजरी तीज मनाई जाती है। यह
महिलाओं काजरी तीज पर अपने पति के लंबे जीवन के लिए प्रार्थना करती हैं और इस दिन उपवास करती हैं।
कजरी तीज के दिन घर मैं झूला डाला जाता है और सभी औरते झूला झूलती है
कजरी तीज व्रत कथा | Kajari Teez Vrat Katha
एक गाँव में एक गरीब ब्राह्मण रहता था । भाद्रपद महीने की कजली तीज आई। ब्राह्मणी ने तीज माता का व्रत रखा। ब्राह्मण से कहा आज मेरा तीज माता का व्रत है। कही से चने का सातु लेकर आओ। ब्राह्मण बोला में सातु कहाँ से लाऊं। तो ब्राह्मणी ने कहा कि चाहे चोरी करो चाहे डाका डालो। लेकिन मेरे लिए सातु लेकर आओ। रात का समय था। ब्राह्मण घर से निकला और साहूकार की दुकान में घुस गया। उसने वहाँ पर चने की दाल , घी , शक्कर लेकर सवा किलो तोलकर सातु बना लिया और जाने लगा। आवाज सुनकर दुकान के नौकर जग गए और चोर चोर चिल्लाने लगे।साहूकार आया और ब्राह्मण को पकड़ लिया । ब्राह्मण बोला में चोर नहीं हूँ । में तो एक गरीब ब्राह्मण हूँ । मेरी पत्नी का आज तीज माता का व्रत है इसलिए में तो सिर्फ ये सवा किलो का सातु बना कर ले जा रहा था । साहूकार ने उसकी तलाशी ली। उसके पास सातु के अलावा कुछ नहीं मिला। चाँद निकल आया था ब्राह्मणी इंतजार ही कर रही थी। साहूकार ने कहा कि आज से तुम्हारी पत्नी को में अपनी धर्म बहन मानूंगा। उसने ब्राह्मण को सातु , गहने ,रूपये ,मेहंदी , लच्छा और बहुत सारा धन देकर ठाठ से विदा किया।
बोलो तीज माता की जय !!!