श्री कृष्णाष्टकं
महाप्रभु श्रीवल्लभाचार्य जी ने कृष्णाष्टकं में श्री राधा रानी और श्री कृष्ण के सनातन प्रेम का बहुत प्यारा वर्णन किया है। श्रीकृष्ण और श्री राधारानी को शीघ्र प्रसन्न करने के लिए श्रीकृष्ण अष्टकम का पाठ करना चाहिए ।
Mahaprabhu Sri Valthabacharya Ji has given a very beautiful description of the eternal love of Shri Radha Rani and Shri Krishna in Krishna Ashtakam. In order to please Shri Krishna and Shri Radhera, please read Shri Krishna Ashtakam.
श्री कृष्णाष्टकं हिंदी में अनुवाद सहित
राधायाः द्रविणं हरिः।
जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिर्मम ॥२॥
कृष्णप्राणमयी राधा
राधाप्राणमयो हरिः।
जीवनेन धने नित्यं
राधाकृष्णगतिर्मम ॥३॥
कृष्णद्रवामयी राधा
राधाद्रवामयो हरिः।
जीवनेन धने नित्यं
राधाकृष्णगतिर्मम ॥४॥
कृष्ण गेहे स्थिता राधा
राधा गेहे स्थितो हरिः।
जीवनेन धने नित्यं
राधाकृष्णगतिर्मम ॥५॥
कृष्णचित्तस्थिता राधा
राधाचित्स्थितो हरिः।
जीवनेन धने नित्यं
राधाकृष्णगतिर्मम ॥६॥
नीलाम्बरा धरा राधा
पीताम्बरो धरो हरिः।
जीवनेन धने नित्यं
राधाकृष्णगतिर्मम ॥७॥
वृन्दावनेश्वरी राधा
कृष्णो वृन्दावनेश्वरः।
जीवनेन धने नित्यं
राधाकृष्णगतिर्मम ॥८॥
श्री कृष्णाष्टकं के लाभ
कृष्णाष्टकं को युगलाष्टकं भी कहा जाता है क्योंकि इसके प्रत्येक पद में श्रीकृष्ण और श्रीराधारानी दोनों का ही वर्णन किया गया है।
श्रद्धापूर्वक इसका नित्य पाठ करने से मनुष्य को श्री कृष्णा भगवान का प्रेम मिलता है है और गोलोकधाम की प्राप्ति होती है। ॥श्रीहरि॥
श्री कृष्णाष्टकं का पाठ कैसे करे
हिन्दू धरम शास्त्रों के अनुसार सुबह जल्दी स्नान करके श्री राधा कृष्णा की तस्वीर या मूर्ति के सामने श्रीकृष्ण अष्टकम का पाठ करे. सर्व प्रथम श्री राधा कृष्णा का आवाहन करें ,आसन अर्पित करें, तत्पश्चात पैर धोने के लिए जल समर्पित करें आचमन अर्पित करें ,स्नान हेतु जल समर्पित करें ,तिलक करें , धुप -दीप दिखाएं ,प्रसाद अर्पित करें, आचमन हेतु जल अर्पित करें, तत्पश्चात नमस्कार करें। तत्पश्चात श्रीकृष्ण अष्टकम का पाठ करे ।
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